तू
गुलाब होकर
महक तुझे
जमाना जाने।
विषय
विकारों की
आँधी में न
बहकर
संयम-सदाचार से
युक्त स्वस्थ,
सुखी एवं
सम्मानित
जीवन जियो।
अपने लिये,
माता-पिता के
लिए खुशहालियाँ
पैदा करने
वाली सदभावना
से, संयम से आपका
मंगल हो और
आपसे मिलने
वाले का भी
आनंद-मंगल हो।
-Pujya Asharam Ji Bapu
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