बूढी माँ की
वेदना
बेटे ने अपनी 75 वर्षीय बूढी माँ से पूछा “माँ चल तुझे तीर्थ करा लाता हूँ” बूढी माँ बोली इससे ज्यादा भली बात और क्या
होगी, मन ही मन सोचती है आखिर
संस्कारी पिता का संस्कारी पुत्र है मेरा बेटा. इस तरह माँ बेटे माँ वैष्णो देवी
की यात्रा पर निकल पड़ते है, ट्रेन के सफ़र के
थकेहारो ने कटरा की धर्मशाला में शरण ली. बेटा माँ से बोला माँ तुम तो वैसे भी
बहुत थकी हो, माँ वैष्णो की
चढाई नहीं कर सकोगी तुम यही ठहरो मैं मईया का प्रसाद चढ़ा के आता हूँ.
माँ की आँखों में
वात्सल्य की बूंदे छलक आई, मेरा बेटा कितना
लायक है, भगवान् सबको ऐसा ही सपूत
दे. बेटा कटरा से वैष्णो देवी निकल पड़ा. जब 2 दिन तक नहीं लौटा तो माँ को चिंता होने लगी, मन में बेटे की कुशलता की प्रार्थना करने लगी.
वह धर्मशाला के मेनेजर के पास जा पहुंची और बोली “बेटा मेरा बेटा वैष्णो देवी से नहीं लौटा, आज दो दिन पूरे हो गए. मेनेजर बोला “अम्मा तेरा बेटा अब वैष्णो देवी से नहीं
लौटेगा. वह तेरे खर्चे के पैसे हमें दे गया है, और हमें 1500 रुपए हर महीने भेज दिया करेगा”. माँ सन्न रह गयी ,
पेट में पाँच बेटे जिसे भारी नहीं लगे थे, वह माँ … बेटों
के पाँच फ्लेट्स में भी भारी लग रही हैं ! बीते जमाने का यह श्रवण का देश … कौन
मानेगा ?
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