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Friday 8 February 2013

102-PARENTS WORSHIP DAY : 14TH FEBRUARY( Divine Valentine Celebration)



माँ संवेदना है -

माँमाँ संवेदना है, भावना है अहसास है
माँमाँ-माँ संवेदना है, भावना है अहसास है
माँमाँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है,
माँमाँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,
माँमाँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है,
माँमाँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
माँमाँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है,
माँमाँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
माँमाँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है,
माँमाँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
माँमाँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है,
माँमाँ कलम है, दवात है, स्याही है,
माँमाँ परामत्मा की स्वयँ एक गवाही है,
माँमाँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
माँमाँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,
माँमाँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
माँमाँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,
माँमाँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कधों का नाम है,
माँमाँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,
माँमाँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
माँमाँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,
माँमाँ चुल्हा-धुंआ-रोटी और हाथों का छाला है,
माँमाँ ज़िंदगी की कडवाहट में अमृत का प्याला है,
माँमाँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टी की कलप्ना अधूरी है,
तो माँ की ये कथा अनादि है,
ये अध्याय नही है
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
तो मैं कला की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ,
और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करता हूँ.
 -Nikhil V Gulatii

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