महबूब को चाँद कहते हो कभी खुदा बताते हो
बुढे माँ - बाप के बारे में तेरा क्या ख्याल हैं.
तेरे गिरते हुए कदमो को जिन्होंने चलना सिखाया था
आज वो गिर रहे हैं तो तेरा क्या ख्याल हैं.
कभी माँ की लोरी सुनकर ही तुझे नींद आती थी
रात को माँ खांस रही हैं तेरा क्या ख्याल हैं.
निगाहे- नाज़ की तारीफ तो कभी हुस्न को सजदे
टूटे हुए बाप के चश्मे पर तेरा क्या ख्याल हैं.
किसी अन्जान के लिए पल में मरने कीकसमे
तुझे जन्म देने वालों के लिए तेरा क्या ख्याल हैं .
बुढे माँ - बाप के बारे में तेरा क्या ख्याल हैं.
तेरे गिरते हुए कदमो को जिन्होंने चलना सिखाया था
आज वो गिर रहे हैं तो तेरा क्या ख्याल हैं.
कभी माँ की लोरी सुनकर ही तुझे नींद आती थी
रात को माँ खांस रही हैं तेरा क्या ख्याल हैं.
निगाहे- नाज़ की तारीफ तो कभी हुस्न को सजदे
टूटे हुए बाप के चश्मे पर तेरा क्या ख्याल हैं.
किसी अन्जान के लिए पल में मरने कीकसमे
तुझे जन्म देने वालों के लिए तेरा क्या ख्याल हैं .
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