98-PARENTS WORSHIP DAY : 14TH FEBRUARY( Divine Valentine Celebration)
माँ की शिक्षा (गुलाब सा जीवन)
जर्मनी में बालक विलहेम को उसकी मां जब स्कूल ले जाती तो वह बहुत नखरे करता।
स्कूल में भी वह शरारत करता रहता था। एक दिन स्कूल से लौटते हुए वह सड़क पर खेल
रहे बच्चों को देखकर बोला-आप मुझे स्कूल क्यों भेजती हैं? ये बच्चे भी तो
बिना स्कूल गए ही बड़े हो रहे हैं। देखिए, ये कितने खुश हैं। विलहेम की मां चुपचाप
सुनती रही। उसने महसूस कर लिया कि विलहेम को उदाहरण सहित ही कोई चीज समझानी होगी।
घर के बाहर उग आए झाड़-झंखाड़ की ओर दिखाते हुए उसने कहा- अच्छा बताओ बेटा,
इन्हें किसने
उगाया है? विलहेम बोला-मां, ये तो खुद ही उग आते हैं। और ये ओस व बारिश के पानी से बढ़
भी जाते हैं। फिर मां ने घर में लगे गुलाब के पौधों को दिखाते हुए पूछा-और अब बताओ,
ये फूल कैसे लग
रहे हैं? विल ने जवाब दिया-मां, इन्हें तो पिताजी रोज तराशते हैं और नियम से खाद-पानी भी
देते हैं तभी इतने सुंदर लग रहे हैं।
इस पर मां ने कहा- ठीक कह रहे हो बेटा, ये फूल इसलिए
ज्यादा सुंदर हैं क्योंकि इन्हें प्रयास करके ऐसा बनाया गया है। जीवन भी ऐसा ही
है। हमें अच्छा जीवन भी प्रयासों से ही मिलता है। इसके लिए अच्छी शिक्षा, बेहतर प्रशिक्षण
और परिश्रम की जरूरत पड़ती है। तुम में और उन स्कूल न जाने वाले बच्चों में क्या
फर्क है, यह तुम्हें आगे चलकर पता चलेगा। मां की यह सीख विलहेम ने गांठ बांध ली। आगे
चलकर इन्हीं विलहेम ने एक्स-रे की खोज की और भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्राप्त
किया।
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