SATGURU BHAGVAN

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Wednesday, 2 January 2013

18-PARENTS WORSHIP DAY : 14TH FEBRUARY



माँ संवेदना है, भावना है अहसास है
माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है,
माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,
माँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है,
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है,
माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है,
माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है,
माँ कलम है, दवात है, स्याही है,
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है,
माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,
माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,
माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कं धों का नाम है,
माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,
माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,
माँ चुल्हा-धुँआ-रोटी और हाथों का छाला है,
माँ ज़िंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है,
माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है,
तो माँ की ये कथा अनादि है,
ये अध्याय नही है…
…और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
तो मैं कला की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ,
और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करता हूँ।

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