मेरे
प्यारे
युवक-युवतियो
और उनके
माता-पिता ! आप
भारतवासी
हैं।
दूरदृष्टि के
धनी ऋषि-मुनियों
की संतान हैं।
प्रेमदिवस
(वेलेन्टाइन डे)
के नाम पर
बच्चों,
युवान-युवतियों
के ओज-तेज का
नाश हो, ऐसे
दिवस का त्याग
करके
माता-पिता और
संतानों !
प्रभु के नाते
एक-दूसरे को
प्रेम करके
अपने दिल के
परमेश्वर को
छलकने दें।
काम विकार
नहीं, रामरस,
प्रभुप्रेम,
प्रभुरस....
मातृदेवो
भव। पितृदेवो
भव।
बालिकादेवो
भव।
कन्यादेवो
भव।
पुत्रदेवो
भव।
माता
पिता का पूजन
करने से काम
राम में
बदलेगा,
अहंकार प्रेम
में बदलेगा,
माता-पिता के
आशीर्वाद से
बच्चों का
मंगल होगा।
पाश्चात्यों
का अनुकरण आप
क्यों करो ?
आपका अनुकरण
करके वे सदभागी
हो जाये।
'इन्नोसन्टी
रिपोर्ट
कार्ड' के
अनुसार 28
विकसित देशों
में हर साल 13 से 19
वर्ष की 12 लाख 50
हजार
किशोरियाँ
गर्भवती हो
जाती हैं।
उनमें से 5 लाख
गर्भपात
कराती हैं और 7
लाख 50 हजार
कुँवारी माता
बन जाती हैं।
अमेरिका में
हर साल 4 लाख 94
हजार अनाथ
बच्चे जन्म
लेते हैं और 30
लाख किशोर-किशोरियाँ
यौन रोगों के
शिकार होते
हैं।
यौन
संबन्ध करने
वालों में 25 % किशोर-किशोरियाँ
यौन रोगों से
पीड़ित हैं। असुरिक्षित
यौन संबंध
करने वालों
में 50 % को
गोनोरिया, 33 % को
जैनिटल
हर्पिस और एक
प्रतिशत के एड्स
का रोग होने
की संभावना
है। एडस के
नये रोगियों
में 25 % 22 वर्ष से
छोटी उम्र के
होते हैं। आज
अमेरिका के 33 % स्कूलों
में यौन
शिक्षा के
अंतर्गत 'केवल
संयम' की
शिक्षा दी
जाती है। इसके
लिए अमेरिका
ने 40 करोड़ से
अधिक डॉलर (20
अरब रूपये)
खर्च किये
हैं।
प्रेम
दिवस जरूर
मनायें लेकिन
प्रेमदिवस
में संयम और
सच्चा विकास
लाना चाहिए।
युवक युवती
मिलेंगे तो
विनाश-दिवस
बनेगा। इस दिन
बच्चे-बच्चियाँ
माता-पिता का
पूजन करें और
उनके सिर पर
पुष्ष रखें,
प्रणाम करें
तथा माता-पिता
अपनी संतानों
को प्रेम
करें। संतान
अपने
माता-पिता के
गले लगे। इससे
वास्तविक
प्रेम का
विकास होगा।
बेटे-बेटियाँ माता-पिता
में ईश्वरीय
अंश देखें और
माता-पिता
बच्चों में
ईश्वरीय अंश
देखें।
जो
राष्ट्रभक्त
नागरिक यह
राष्ट्रहित
का कार्य करके
भावी सुदृढ़
राष्ट्र
निर्माण में साझीदार
हो रहे हैं वे
धनभागी हैं और
जो होने वाले
हैं उनका भी
आवाहन किया
जाता है।
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