वीर्यवान बनो
पालो
ब्रह्मचर्य
विषय-वासनाएँ
त्याग। ईश्वर
के भक्त बनो
जीवन जो
प्यारा है।।
उठिए
प्रभात काल
रहिये
प्रसन्नचित्त।
तजो शोक
चिन्ताएँ जो
दुःख का
पिटारा है।।
कीजिए
व्यायाम
नित्य भ्रात!
शक्ति
अनुसार। नहीं
इन नियमों पै
किसी का इजारा1
है।।
देखिये
सौ शरद औ’कीजिए
सुकर्म प्रिय!
सदा स्वस्थ
रहना ही कर्त्तव्य
तुम्हारा
है।।
लाँघ
गया पवनसुत
ब्रह्मचर्य
से ही सिंधु।
मेघनाद मार
कीर्ति लखन
कमायी है।।
लंका
बीच अंगद ने
जाँघ जब रोप
दई। हटा नहीं
सका जिसे कोई
बलदायी है।।
पाला
व्रत
ब्रह्मचर्य
राममूर्ति,
गामा ने भी।
देश और
विदेशों में
नामवरी2
पायी है।।
भारत
के वीरो! तुम
ऐसे वीर्यवान
बनो। ब्रह्मचर्य
महिमा तो वेदन
में गायी है।।
1- एकाधिकार।
2- प्रसिद्धि
ॐॐॐॐॐॐ
ब्रह्मचर्य रक्षा हेतु मंत्र
एक
कटोरी दूध में
निहारते हुए
इस मंत्र का
इक्कीस बार जप
करें |
तदपश्चात
उस दूध को पी
लें,
ब्रह्मचर्य
रक्षा में
सहायता मिलती
है | यह
मंत्र सदैव मन
में धारण करने
योग्य है :
ॐ
नमो भगवते
महाबले
पराक्रमाय
मनोभिलाषितं
मनः स्तंभ
कुरु कुरु
स्वाहा |
No comments:
Post a Comment