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Sunday 27 January 2013

78-PARENTS WORSHIP DAY : 14TH FEBRUARY( Divine Valentine Celebration)



II वेलेंटाइन डे नहीं अपितु मातृ-पितृ पूजन दिवस ‍‌II
भारत देश ऋषियों का, देवो का, तपस्वियों का, मुनियों का, योगियों का देश रहा है I यह देश देव भूमि के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध रहा है I इस देश की संस्कृति दुनिया में इसे अलग पहचान देती है I किन्तु पिछले दो - चार हजार वर्षों से इस देश पर विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण किया है I पहले हूण, शक, यवन, मलेच्छ, मुग़ल एवं अंग्रेजो जैसे विभिन्न संस्कृतियों के विधर्मियों ने आक्रमण करके इस देश की महान संस्कृति को धूमिल करने का प्रयास किया है I उसी का नतीजा है कि आज का युवा इस देश की महान संस्कृति के लाभ से वंचित रहा है I भारत देश के ऊपर अलग अलग संस्कृति के आक्रांताओं ने आक्रमण किया I किन्तु सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव डाला मुगलों एवं अंग्रजो ने, जिन्होंने इस देश की परंपरा एवं संस्कृति को खत्म करने के लिए यथा सम्भव प्रयास किया I क्योंकि इस देश की संस्कृति युवाओं को ओजस्वी, तेजस्वी, एवं नवजीवन देने का सामर्थ्य रखती है I किन्तु अंग्रेजो ने इस देश कि संस्कृति को तोड़ने के लिए, युवाओं को कमजोर करने के लिए भारत देश की गुरुकुल परंपरा को खत्म कर दिया और उन्हें अपने ही महान संस्कृति से युवाओं को वंचित कर दिया I ताकि इन्हें जो शिक्षा, जो संस्कार गुरुकुल से मिला करता था उससे वे विमुख रह जाए I भारत के गुरुकुल परंपरा में गुरुओं का, माता पिता का आदर करना, उनका पूजन करना शिक्षा मूल हुआ करता था ताकि गुरुओं के मार्गदर्शन में वे ज्ञान अर्जित कर जीवन को सही दिशा में ले चलें, माता पिता का आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन में उच्च पद को प्राप्त करके भी अहंकार शून्य रह पाए I मेकाले की शिक्षा प्रणाली ने भारतीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को खत्म करने के साथ ही इसकी महान संस्कृति के जीवन मूल्यों को भी खत्म कर दिया I इस संस्कृति में माता पिता का पूजन सदियों से होता आया है I श्रवण कुमार ने अपने माता, पिता के इच्छा अनुसार उनके अंध होते हुए भी उने काउडे पर बैठा कर पैदल चारों धाम की यात्रा की I भगवान राम ने भी माता पिता की आज्ञा शिरोधार कर राज्य के सुख वैभव का त्याग कर वनवास ग्रहण किया I
  ऐसे ही कई दृष्टांत से भारत का इतिहास परिपूर्ण रहा है I भगवान गणेश ने भी मातापिता की परिक्रमा कर त्रिलोकी की परिक्रमा करने का फल प्राप्त किया था, इसका सुन्दर दृष्टांत प्रस्तुत किया है I ऐसी माता पिताओं की महिमा भारत संस्कृति में हुआ करती थी I किन्तु मेकाले शिक्षा प्रणाली ने गुरुकुल परंपरा एवं मातृ पितृ आदर इस परंपरा को खत्म कर दिया I जिसके फलस्वरूप आज का युवक वेलेंटाइन डे के भयानक अभिशाप से ग्रसित हो गया I जिससे वह चारित्रिक, नैतिक एवं शारिरीक पतन की ओर अग्रसर हो रहा है I हमारा देश सदा से ही चरित्रवानों का देश रहा है I इस देश में वेलेंटाइन डे की कुप्रथा को शामिल कर इस संस्कृति को एवं इसके युवको के चरित्र बल को खत्म करने की साजिश चल रही है I ऐसे विकट पारिस्थिति में भारत देश में एक तेजस्वी देदीप्यमान सूर्य उदय हुआ है, जिसने भारतीय संस्कृति को विश्वपद पर स्थापित करने के लिए भागीरथ प्रयास किया I वर्तमान काल वह है संत शिरोमणि श्री आसारामजी बापू का जिन्होंने भारतीय संस्कृति को एवं युवकों में पुनः संयम की महिमा को स्थापित करने का भागीरथ प्रयास किया है I
   इसके साथ ही युवाओं को चरित्रवान बनाने के लिए ओजस्वी, तेजस्वी बनाकर युवा मात पिता का आदर करे, इसके लिए पूज्य बापूजी ने वेलेंटाइन डे मनाने के बदले मातृ - पितृ पूजन दिवस मनाकर युवा उनके आशीर्वाद प्राप्त करें I इसके लिए विश्वभर में बापूजी ने १४ फरवरी  वेलेंटाइन डे का बहिष्कार किया एवं १४ फरवरी मातृ - पितृ पूजन दिवस मनाने का आवाह्न किया है I और इस आवाह्न में पुरे देश से अधिक मात्रा में लोग जूड़े I युवा खास करके अपने स्कूलों में, मित्रों में, संगठनों में इस पवित्र दिवस को मनाने की जागृति लाए I एवं माता पिता का पूजन कर उनके आशीर्वाद प्राप्त कर इस संस्कृति को पुनः गौरवान्वित करें I इस हेतु पूज्य बापूजी का तो आशीर्वाद सदैव है किन्तु देश की अन्य संस्थाये, स्कूल, कॉलेज एवं गणमान्य लोग एवं मीडिया भी अपने अपने स्तर पर अपना योगदान दे सकते हैं, जिसकी अपेक्षा भारत देश को है I
मातृ - पितृ पूजन दिन के आकर्षण
१) १४ फरवरी को युवक, युवती, विद्दार्थी अपने माता पिता का सामूहिक पूजन कर उनकी परिक्रमा करें व उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें I
२) उस दिन युवाओं को भारतीय संस्कृति से होने वाले लाभ से अवगत करायें I जैसे संयम से शक्ति और शक्ति से सामर्थ्य का संचार होता है I जप से एकाग्रता प्राप्त कर लौकिक तथा आध्यात्मिक उचाईयाँ प्राप्त की जा सकती हैं I
३) युवाओं को माता पिता, गुरुजनों के आदर्श पर चलकर जीवन को उनकी तथा राष्ट्र व संस्कृति की सेवा में सर्वस्व न्यौछावर करने की प्रेरणा देना I
४) सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना

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