ʹ14 फरवरी को प्रेम दिवस मनायें लेकिन ऐसा प्रेम दिवस मनायें
जिसमें सच्चा विकास हो। इस दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का आदर पूजन करें और उनके
सिर पर पुष्प रखें, प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें।
बेटे-बेटियाँ माता-पिता में ईश्वरीय अंश देखें और माता-पिता बच्चों में ईश्वरीय
अंश देखें।
मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। आचार्यदेवो भव। कन्यादेवो भव।
पुत्रदेवो भव।"
यौन-जीवन सम्बन्धी परम्परागत नैतिक
मूल्यों का त्याग करने वाले देशों की चारित्रिक सम्पदा नष्ट होने का मुख्य कारण
ऐसे ʹवेलेन्टाइन डेʹ हैं, जो लोगों को अनैतिक जीवन जीने को
प्रोत्साहित करते हैं। इससे उन देशों का अधःपतन हुआ है। अमेरिका में 7 प्रतिशत
बच्चे 13 वर्ष की उम्र के पहले ही यौन संबंध कर लेते हैं। 85 प्रतिशत लड़के और 77
प्रतिशत लड़कियाँ 19 वर्ष के पहले ही यौन-संबंध कर लेते हैं। इससे जो समस्याएँ
पैदा हुईं, उनको मिटाने के लिए वहाँ की सरकारों को
स्कूलों में ʹकेवल संयमʹ अभियानों
पर करोड़ों डॉलर खर्च करने पर भी सफलता नहीं मिलती। अतः भारत जैसे देशों को अपने
परम्परागत नैतिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए ऐसे ʹवेलेन्टाइन डेʹ का बहिष्कार करना चाहिए। प्रेमदिवस जरूर मनायें लेकिन संयम
व सच्चा विकास उसमें लाना चाहिए। युवक-युवती मिलेंगे तो विनाश-दिवस बनेगा।
इस दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का आदर-पूजन करें और उनके
सिर पर पुष्प रखें, प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें।
संतान अपने माता-पिता के गले लगे। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा।
प्रेमदिवस (वेलेन्टाइन डे) के नाम पर विनाशकारी काम-विकार
का विकास हो रहा है, जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, खोखलापन, जल्दी बुढ़ापा और मौत लाने वाला दिवस साबित होगा। अतः
भारतवासी इस अंध परम्परा से सावधान हों। तुम भारत के लाल और लालियाँ हो। प्रेमदिवस
मनाओ, अपने माता-पिता का सम्मान करो और माता-पिता बच्चों को स्नेह
करें। करोगे न बेटे ऐसा ! पाश्चात्य
लोग विनाश की ओर जा रहे हैं। वे लोग ऐसे दिवस मनाकर यौन रोगों का घर बन रहे हैं, अशांति की आग में तप रहे हैं। उनकी नकल तो नहीं करोगे ?
ʹइन्नोसन्टी रिपोर्ट कार्डʹ के अनुसार 28 विकसित देशों में हर साल 13 से 19 वर्ष की 12
लाख 50 हजार किशोरियाँ गर्भवती हो जाती हैं। उनमें से 5 लाख गर्भपात कराती हैं और
7 लाख 50 हजार कुँवारी माता बन जाती हैं। अमेरिका में हर साल 4 लाख 94 हजार बच्चे
जन्म लेते हैं और 30 लाख किशोर-किशोरियाँ यौन रोगों के शिकार होते हैं।
यौन-संबंध करने वालों में 25 प्रतिशत किशोर-किशोरियाँ यौन
रोगों से पीड़ित हैं। असुरक्षित यौन-संबंध करने वालों में 50 प्रतिशत को गोनोरिया, 33 प्रतिशत को
जैनिटल हर्पिस और एक प्रतिशत को एड्स का रोग होने की सम्भावना है। एड्स के नये
रोगियों में 25 प्रतिशत रोगी 22 वर्ष से छोटी उम्र के होते हैं। आज अमेरिका के 33
प्रतिशत स्कूलों में यौन शिक्षा के
अंतर्गत ʹकेवल संयमʹ की शिक्षा दी जाती है। इसके लिए अमेरिका ने 40 करोड़ से
अधिक डॉलर खर्च किये हैं।
मा प्र गाम वयम्। ʹहम सुपथ से कुपथ की ओर न जायें। (ऋग्वेदः 10.57.1)
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