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Friday, 18 January 2013

56-PARENTS WORSHIP DAY : 14TH FEBRUARY( Divine Valentine Celebration)

मातृ-पितृ भक्त

"माता पिता और गुरुजनों का आदर करने वाला
चिरआदरणीय हो जाता है।" पूज्य बापू जी।
हे विद्यार्थी !
भारतवर्ष में माता-पिता को पृथ्वी पर का साक्षात देव माना गया है।
मातृदेवो भव। पितृदेवो भव।
विद्यार्थियो ! प्राचीनकाल में लोग क्यों लम्बी उम्र तक जीते थे ? आप जानते हैं ? क्योंकि उस समय लोग अपने माता-पिता को प्रतिदिन प्रणाम करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते थे। शास्त्र कहता हैः
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।। (मनुस्मृतिः 2.121)
ʹजो माता-पिता और गुरुजनों को प्रणाम करता है और उनकी सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल चारों बढ़ते हैं।ʹ
विद्यार्थियो ! आपने श्रवण कुमार का नाम तो सुना ही होगा। माता-पिता की सेवा का आदर्श आप श्रवण कुमार से सीखो। अपने माता-पिता के इच्छानुसार उनको कावड़ में बिठाकर वे उन्हें तीर्थयात्रा करवाने निकल पड़े। पैदल जाना, हिंसक जानवरों का भय और माँगकर खाना – इस प्रकार की अनेक यातनाएँ सहन कीं लेकिन माता-पिता की सेवा से विमुख नहीं हुए। माता-पिता की सेवा करते-करते ही उन्होंने अपने प्राण त्याग दिये। मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम भी आदर्श मातृ-पितृ गुरुभक्त थे। गोस्वामी तुलसीदास जी ने उनके बारे में लिखा हैः
प्रातःकाल उठि के रघुनाथा।
मातु पिता गुरु नावहिं माथा।।
(श्रीरामचरितमानस)

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