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पढना मत भुलना : ह्रदय को स्पर्श कर दे ऐसी बात :
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!! माँ-बाप की सेवा !!
हम सब जानते है कि बच्चे वही करते है जो उनके बड़े करते है !अगर अपनी सेवा करानी है तब पहले
हमें अपने बड़ों की सेवा करनी होगी, उसे देख कर ही हमारें बच्चों को सेवा करने की आदत पड़ेगी . एक कहानी भी है कि एक जमींदार था वह अपने मातापिता की परवाह नहीं करता था ! उनके एक बेटा था !उससे वह बहुत प्यार करता था ! बेटे को अपने दादा दादी बहुत प्यार करते थे! पोता अपने दादा दादी की बहुत सेवा करता था ! एक बार सर्दी बहुत ज्यादा हो गई ! जमींदार के पिता नेउससे एक गर्म कपड़ा माँगा , जमींदार को उनका माँगना अच्छा नहीं लगा ! उसने बहुत सोच कर अपने बेटे को कहा कि कबाड़ के कमरे में एक पुराना कम्बल पड़ा है वह इनको ला कर दे दो ! जमींदार का बेटा गया और कम्बल ला कर उसने अपने दादा को दे दिया ! दादा ने देखा कि वह तो आधा है! जमींदार के पिता ने अपने बेटे को कहा कि यह तो आधा है इससे ठण्ड कैसे रुकेगी ! जमींदार ने अपने बेटे से कहा बेटा आपने कम्बलआधा क्यों दिया है ! इस पर बेटे ने जमींदार से कहा कि जब आप बूढ़े हो जाएगे और आप मुझसे कम्बल मांगेंगे तब मैं कहा देखता रहूँगा इसलिए मैंने आज ही आपके लिए बंदोबस्त कर लियाहै !.............. ....
कहने का मतलव है की जैसे तुम अपने माँ और बाप के साथ करोगे तुम्हारे बच्चे भी वैसा ही तुम्हरे साथ आगे आने वाले समय में करेंगे।
इसलिए अभी से ये सब बात को अपने अन्दर बैठाकर रख लो की जैसी करनी वैसी भरनी।
और वैसे भी दादा और दादी का लगाओ अपने पोते औरपोतियों से कुछ ज्यादा ही होता है।
इसलिए अपने और अपने बच्चो के संस्कारों पर जरूर ही ध्यान दे ताकि आपके परिवार की नीव एक बहुत ही मजबूत होगी और आपके परिवार का गौरव भी समाज में बढेगा। और आप सभी की भूरी भूरी प्रशंन्सा होगी और आपके बच्चे भी आगे आपका और आपके वंश का नाम रोशन करेंगे। इसलिए आज कल की चमक धमक के चक्कर में न तो खुद फसो और न ही अपने बच्चो को के माया जाल में फ़सने दो, ये कलयुग है, यदि कोई एक बार इस भंवर जाल में फस गया तो समझ लो की आपके परिवार का अब सत्यानाश होने को जा रहा है। इसलिए पहले से ही इस माया जाल से खुद और अपने बच्चो तथा परिवार को बचा कर रखोगे तो पूरे जीवन आनंदमय जीओगे। तभी तो कहते है की मूलधन से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है। संस्कार ही हमें याद दिलाते है माँ बाप की सेवा करना। और जो लोग अपने माँ और बाप की सेवा निस्वार्थ करते है उन्हें वो सब अपनेआप मिल जाता है जो वे चाहतेहै।
पढना मत भुलना : ह्रदय को स्पर्श कर दे ऐसी बात :
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!! माँ-बाप की सेवा !!
हम सब जानते है कि बच्चे वही करते है जो उनके बड़े करते है !अगर अपनी सेवा करानी है तब पहले
हमें अपने बड़ों की सेवा करनी होगी, उसे देख कर ही हमारें बच्चों को सेवा करने की आदत पड़ेगी . एक कहानी भी है कि एक जमींदार था वह अपने मातापिता की परवाह नहीं करता था ! उनके एक बेटा था !उससे वह बहुत प्यार करता था ! बेटे को अपने दादा दादी बहुत प्यार करते थे! पोता अपने दादा दादी की बहुत सेवा करता था ! एक बार सर्दी बहुत ज्यादा हो गई ! जमींदार के पिता नेउससे एक गर्म कपड़ा माँगा , जमींदार को उनका माँगना अच्छा नहीं लगा ! उसने बहुत सोच कर अपने बेटे को कहा कि कबाड़ के कमरे में एक पुराना कम्बल पड़ा है वह इनको ला कर दे दो ! जमींदार का बेटा गया और कम्बल ला कर उसने अपने दादा को दे दिया ! दादा ने देखा कि वह तो आधा है! जमींदार के पिता ने अपने बेटे को कहा कि यह तो आधा है इससे ठण्ड कैसे रुकेगी ! जमींदार ने अपने बेटे से कहा बेटा आपने कम्बलआधा क्यों दिया है ! इस पर बेटे ने जमींदार से कहा कि जब आप बूढ़े हो जाएगे और आप मुझसे कम्बल मांगेंगे तब मैं कहा देखता रहूँगा इसलिए मैंने आज ही आपके लिए बंदोबस्त कर लियाहै !.............. ....
कहने का मतलव है की जैसे तुम अपने माँ और बाप के साथ करोगे तुम्हारे बच्चे भी वैसा ही तुम्हरे साथ आगे आने वाले समय में करेंगे।
इसलिए अभी से ये सब बात को अपने अन्दर बैठाकर रख लो की जैसी करनी वैसी भरनी।
और वैसे भी दादा और दादी का लगाओ अपने पोते औरपोतियों से कुछ ज्यादा ही होता है।
इसलिए अपने और अपने बच्चो के संस्कारों पर जरूर ही ध्यान दे ताकि आपके परिवार की नीव एक बहुत ही मजबूत होगी और आपके परिवार का गौरव भी समाज में बढेगा। और आप सभी की भूरी भूरी प्रशंन्सा होगी और आपके बच्चे भी आगे आपका और आपके वंश का नाम रोशन करेंगे। इसलिए आज कल की चमक धमक के चक्कर में न तो खुद फसो और न ही अपने बच्चो को के माया जाल में फ़सने दो, ये कलयुग है, यदि कोई एक बार इस भंवर जाल में फस गया तो समझ लो की आपके परिवार का अब सत्यानाश होने को जा रहा है। इसलिए पहले से ही इस माया जाल से खुद और अपने बच्चो तथा परिवार को बचा कर रखोगे तो पूरे जीवन आनंदमय जीओगे। तभी तो कहते है की मूलधन से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है। संस्कार ही हमें याद दिलाते है माँ बाप की सेवा करना। और जो लोग अपने माँ और बाप की सेवा निस्वार्थ करते है उन्हें वो सब अपनेआप मिल जाता है जो वे चाहतेहै।
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