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Thursday, 17 January 2013

55-PARENTS WORSHIP DAY : 14TH FEBRUARY( Divine Valentine Celebration)

टी.वी.-फिल्मों का प्रभाव

22 अप्रैल को आगरा से प्रकाशित समाचार पत्र दैनिक जागरण में दिनांक 21 अप्रैल 1999 को वाशिंगटन (अमेरिका) में घटी एक घटना प्रकाशित हुई थी। इस घटना के अनुसार किशोर उम्र के दो स्कूली विद्यार्थियों ने डेनवर (कॉलरेडो) में दोपहर को भोजन की आधी छुट्टी के समय में कोलंबाइन हाई स्कूल की पुस्तकालय में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे कम-से-कम 25 विद्यार्थियों की मृत्यु हुई, 20 घायल हुए। विद्यार्थियों की हत्या के बाद गोलीबारी करने वाले किशोरों ने स्वयं को भी गोलियाँ मारकर अपने को भी मौत के घाट उतार दिया। हॉलीवुड की मारा-मारीवाली फिल्मी ढंग से हुए इस अभूतपूर्व कांड के पीछे भी चलचित्र ही (फिल्म) मूल प्रेरक तत्त्व है, यह बहुत ही शर्मनाक बात है। भारतवासियों को ऐसे सुधरे हुए राष्ट्र और आधुनिक कहलाये जाने वाले लोगों से सावधान रहना चाहिए।
सिनेमा-टेलिविज़न का दुरूपयोग बच्चों के लिए अभिशाप रूप है। चोरी, दारू, भ्रष्टाचार, हिंसा, बलात्कार, निर्लज्जता जैसे कुसंस्कारों से बाल-मस्तिष्क को बचाना चाहिए। छोटे बच्चों की आँखों की ऱक्षा करनी जरूरी है। इसलिए टेलिविज़न, विविध चैनलों का उपयोग ज्ञानवर्धक कार्यक्रम, आध्यात्मिक उन्नति के लिए कार्यक्रम, पढ़ाई के लिए कार्यक्रम तथा प्राकृतिक सौन्दर्य दिखाने वाले कार्यक्रमों तक ही मर्यादित करना चाहिए।
एक सर्वे के अनुसार तीन वर्ष का बच्चा जब टी.वी. देखना शुरू करता है और उस घर में केबल कनैक्शन पर 12-13 चैनल आती हों तो, हर रोज पाँच घंटे के हिसाब से बालक 20 वर्ष का हो तब तक इसकी आँखें 33000 हत्या और 72000 बार अश्लीलता और बलात्कार के दृश्य देख चुकी होंगी।
यहाँ एक बात गंभीरता से विचार करने की है कि मोहनदास करमचंद गाँधी नाम का एक छोटा सा बालक एक या दो बार हरिश्चन्द्र का नाटक देखकर सत्यवादी बन गया और वही बालक महात्मा गाँधी के नाम से आज भी पूजा जा रहा है। हरिश्चन्द्र का नाटक जब दिमाग पर इतनी असर करता है कि उस व्यक्ति को जिंदगी भर सत्य और अहिंसा का पालन करने वाला बना दिया, तो जो बालक 33 हजार बार हत्या और 72 हजार बार बलात्कार का दृश्य देखेगा तो वह क्या बनेगा? आप भले झूठी आशा रखो कि आपका बच्चा इन्जीनियर बनेगा, वैज्ञानिक बनेगा, योग्य सज्जन बनेगा, महापुरूष बनेगा परन्तु इतनी बार बलात्कार और इतनी हत्याएँ देखने वाला क्या खाक बनेगा? आप ही दुबारा विचारें।

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